By राजेश ओ.पी. सिंह
पंजाब भारत का सबसे उपजाऊ प्रदेश माना जाता है, और सुरक्षा के लिहाज से भी सबसे महत्वपूर्ण प्रदेश माना जाता है, क्यूंकि पंजाब का एक लम्बा छोर पाकिस्तान से सटा हुआ है। पंजाब की रगों में क्रांतिकरी खून है और यहां हर दौर में किसी ना किसी व्यक्ति, समुदाय या समूह द्वारा क्रांति की गई है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए इस बार विधानसभा चुनावों में पंजाब की महिलाओं ने क्रांति की है।
भारत के अन्य प्रदेशों की भांति पंजाब में भी महिला मतदाताओं की संख्या कुल मतदाताओं की संख्या के लगभग 45-46 फीसदी है। अर्थात लगभग आधी आबादी महिलाओं की है इसलिए महिला मतदाताओं का मतदान व्यवहार देखना आवश्यक हो जाता है, क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल की सरकार बनने या ना बनने में महिला मतदाताओं की सबसे अहम भूमिका है।
पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं के मतदान व्यवहार को प्रभावित करने में सबसे अहम भूमिका इस बार “बदलाव होना चाहिए” नामक लहर की रही है, जिसका सारा फायदा प्रदेश की नवी नवेली पार्टी आम आदमी पार्टी को प्राप्त हुआ है। हम देखते हैं कि किसी भी राजनीतिक दल की सरकार बनाने या ना बनाने में “बदलाव होना चाहिए” नामक लहर का सबसे ज्यादा असर होता है, जैसे कि इंग्लैंड के प्रसिद्ध सैफोलिजिस्ट ” डेविड बटलर” ने कहा है कि लोग अगर असंतुष्ट है तो सरकार नहीं जाएगी, लोग संतुष्ट और नाराज़ हैं तब भी सरकार नहीं जाएगी, लेकिन लोग अगर असंतुष्ट और नाराज़ है तथा ये समझते हैं कि बदलाव ज़रूरी है तब सरकार जाती है और नई आती है।
पंजाब की महिलाएं प्रदेश में फैले नशे से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, चूंकि नशे ने ना केवल उनके पति बल्कि बेटों ,भाइयों और पिताओं को भी निगल लिया है। और ये महिलाएं दशकों से अकाली दल और कांग्रेस पार्टी की सरकारों को देख चुकी थी, परंतु किसी भी सरकार ने उन्हें इस समस्या से निजात नहीं दिलवाया, हालांकि सभी राजनीति दल चुनावों के समय पर वादे करते रहें हैं परन्तु चुनाव जीतने के बाद कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसलिए नशे से परेशान पंजाब की महिलाओं ने इस बार सत्ता में बदलाव करके प्रयोग किया है और जैसे कि आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में दस सूत्रीय कार्यक्रम पंजाब की जनता के सामने रखा है जिसमे सबसे ज्यादा बल पंजाब को नशा मुक्त बनाने पर है, इसलिए महिला मतदाताओं को ये उम्मीद है कि आप सरकार उनकी इस समस्या को ख़तम कर सकती है,इसलिए आप के पक्ष ने मतदान किया है। और इसे हम ऐसे भी देख सकते हैं कि पंजाब का मालवा क्षेत्र जिसमे नशे से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है और सबसे पिछड़ा हुआ क्षेत्र है, यहां से आम आदमी पार्टी ने 69 विधानसभा सीटों में से 66 पर जीत का परचम लहराया है।
इसके अलावा पंजाब में महिला मतदाताओं को फ्रीबीज (मुफ्त योजनाओं) ने आकर्षित किया है क्योंकि पंजाब में लगभग एक तिहाई जनसंख्या दलितों की है जिनमे से लगभग 85 फीसदी गरीबी लाइन के नीचे अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
और इस गरीबी के दौर में सबसे ज्यादा प्रभावित घर की महिला ही होती है,जैसे हम देखते हैं कि घर के काम करने के अलावा इन महिलाओं को अपनी रोजी रोटी के लिए अन्य काम भी करने पड़ते हैं, अब जब आम आदमी पार्टी ने फ्री बिजली के साथ साथ मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं देने जा वादा किया है तो एक उम्मीद जगी है कि शायद नई सरकार बनाने से जीवन में कुछ सुधार आए और सरकार द्वारा दी जाने वाली सहूलियतों की सहायता से रोजी रोटी के लिए इतना संघर्ष ना करना पड़े।
इसके अलावा महिलाओं को “विकास” ने भी प्रभावित किया है और विकास का सबसे अच्छा मॉडल आम आदमी पार्टी उनके सामने रख पाई है। चूंकि आम आदमी पार्टी दिल्ली के सरकारी स्कूलों और हस्पतालों की स्थिति में बड़े स्तर पर सुधार करने का दावा करती है, स्मार्ट स्कूल , इंगलिश माध्यम के स्कूल , मुहल्ला क्लीनिक जैसी सुविधाओं ने पंजाब की महिलाओं को आकर्षित किया है और एक उम्मीद दिखाई है।
इन सबके अलावा पंजाब के जिन पांच जिलों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत सबसे ज्यादा है वो पांचों जिले मालवा क्षेत्र में पड़ते हैं और इन पांचों जिलों में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड जीत दर्ज की है।
महिलाओं ने लोकतंत्र के उत्सव में अपनी अहम भूमिका को दर्शाया है जो कि आगामी समय में सभी राजनीतिक दलों के लिए एक संदेश लेके आया है कि यदि महिलाओं के लिए विकास कार्य नहीं किए गए और महिलाओं को नजरअंदाज किया गया तो चुनाव जीतना मुश्किल ही नहीं बल्कि जीतने की सम्भावना भी ना के बराबर रहेगी। इसलिए आगामी समय में सभी राजनीतिक दलों और नेताओं को महिलाओं के चहुंमुखी विकास सम्बन्धी योजनाओं पर कार्य करने की आवश्कता है ताकि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे ना रह पाए।